शुक्रवार, फ़रवरी 19, 2010

जब हुआ नाड़ी निरीक्षण

त 17 फरवरी से योग शिविर जा रहा हूँ, एक दोस्त के निवेदन पर, ताकि दोस्ती भी रह जाए और सेहत में भी सुधार हो जाए। योग शिविर में जाकर बहुत मजा आ रहा है, क्योंकि वहाँ पर बच्चा बनने की आजादी है, जोर जोर से हँसने की आजादी है, वहाँ पर बंदर उछल कूद करने की आजादी है। सुना तो बहुत बार है कि मानव रूपी पुतला पाँच तत्व से बना है,

सोमवार, फ़रवरी 15, 2010

जो हूँ वैसा रहना

मैं कल से क्यों नहीं डरता? मैं कल के बारे में क्यों नहीं सोचता? मेरी पत्नि अक्सर मुझ पर चिल्लाती है| चिल्लाए भी क्यों न वो, कल से जो डरती है, जिसके चक्कर में वो आज भी खो बैठती है। मुझे नहीं पता चला कब और कैसे मुझे आज से नहीं अब से प्यार हो गया। जो हूँ वैसा रहना मुझे पसंद है, चाहे सामने वाले को कितना ही बुरा क्यों न लगे। मुझे पल पल रूप बदलना नहीं आता। मैंने कहीं सुनना था या पढ़ा था सच और तलवार का घाव जल्द ठीक हो जाता है। उसके बाद झूठ का पल्लू पकड़ना बंद कर दिया, जबकि दुनियादारी झूठ के बगैर चलती नहीं।

शनिवार, फ़रवरी 06, 2010

मेरे घर आई नन्ही परी

छ: फरवरी 2010 को सुबह सात बजकर 58 मिनट पर हिम्मतनगर (गुजरात) स्थित अस्पताल वरदान में इस नन्ही परी का जन्म हुआ। एक झलक खुली खिड़की के पाठकों और मेरे दोस्त जनों के लिए।

शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2010

कीचड़ में खेलता वो मासूम सा बच्चा

एक फूल सा बच्चा, गली में खड़े पानी के कारण हुए कीचड़ के बीचोबीच मस्ती कर रहा है। उसको कितना आनंद महसूस हो रहा था, उसका तो अंदाजा नहीं लगा पाऊंगा। हाँ, लेकिन उसके चेहरे की खुशी मेरे दिल को अद्भुत सुकून दे रही थी।