रविवार, जून 21, 2009

माँ छांव तो बाप कड़ी धूप

जब भी पिता ने हमको मारने की कोशिश की, मां बीच में दीवार बन खड़ी हो गई। हमारे तन पर पड़ने वाली लठें उसने अपने तन पर सही। हमारे बचाव में जब भी मां उतरती तो पिता के मुँह पर एक बात होती थी कि 'माँ बिगाड़ती है और पिता संवारता था'। पिता के इन शब्दों से मैं कुछ हद तक सहमत हूं, अगर सिर पर पिता के डर का साया न हो तो शायद बच्चे उतनी सीमा में नहीं रहते जितनी में रहना चाहिए। मुझे लगता है कि माँ हमारे अनुकूल बनती है, जबकि पिता हमको समाज के अनुकूल बनता था। माँ हमारी हर गलती को छुपाती है, लेकिन पिता उन गलतियों को छापने के बजाय उन गलतियों को दोहराने से रोकता है। मुझसे पता है कि मेरे पिता का स्वभाव बहुत गर्म था, जो अब उतना नहीं। लेकिन माँ स्वभाव में बिल्कुल इसके विपरीत थी। हम पिता से इतना डरते थे कि अगर वो आते दिख जाते तो हम खेलना छोड़कर घर के भीतर चले जाते। ये भी उनके भय के कारण ही हुआ, जो हम बुरी संगत से दूर रहें, स्कूल से कोई शिकायत लेकर घर नहीं आए। किसी लड़की के पीछे नहीं गए, किसी को सीटी बजाकर छेड़ा नहीं। जब ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को टीचर पीटते हैं तो वो शिकायत लेकर घर नहीं आते, अगर आते हैं तो सिर्फ माँ को बताते हैं, क्योंकि उनको पता होता है कि पिता को बताया तो वो सीधा स्कूल जाएंगे, इस लिए नहीं कि टीचर ने उनकए बच्चे को क्यों पीटा, बल्कि इस लिए जाएंगे कि आपने इसको और अच्छे से क्यों नहीं पीटा। अगर पिता को दूसरे नजरिए से देखें तो कहूंगा कि अगर माँ प्यार का सागर है तो पिता क्रेडिट कार्ड है। जिसके बल पर ऐश करने का अपना ही मजा है। जब हम सब पुत्र होते हैं तो हमको बाप की डाँट फटकार बुरी लगती है और माँ का दुलार भाता है। मगर जब हम अपने पिता वाली जॉब पर आते हैं तो हम वो ही करते हैं, जो हमारे पिता करते थे। अपने बच्चे की गलतियों को सुधारना और उनको फिर से न दोहराने के सीख देना आदि। तब जब हमारी पत्नियाँ हमारी माँ वाली ड्यूटी निभाती हैं तो हमको बुरा लगता है। जिन्दगी में जितनी माँ की अहमियत है, उतनी ही पिता की। हमारा माँ से लगाव इस लिए ज्यादा रहता है क्योंकि वो हमारी गलतियों को माफ करती है, वो हमारे अनुकूल रहती है। जबकि असल में पिता खून पसीने की कमाई से हमें सफल इंसान बनाने के लिए दिन रात काम करता है, ये काम ही हमको उनके अधिक करीब नहीं आने देता। लेकिन सत्य तो ये है कि अगर माँ छांव है तो पिता एक कड़ी धूप, जो हमको हर स्थिति का सामना करने के लिए हमको कठोर बनाता है।