शुक्रवार, अक्तूबर 23, 2009

महिलाओं का मेरे प्रति आकर्षण-पार्ट-2

आज वो बैंक भी बदल गया और मेरा बैंक खाता भी। वो बैंक अब एचडीएफसी हो गया जो कभी बैंक ऑफ पंजाब हुआ करता था, मेरा खाता भी अब इस बैंक में आ गया। वो वाला नहीं नया बैंक खाता, वो तो बहुत पहले ही बंद हो गया था, लेकिन वो पहला बैंक खाता मुझे आज भी याद है। उस बैंक में चैक लगाने और पैसे निकलवाने के लिए जाना। कतार में लगना, उस मैडम को देखना, जो मुझे कतार में लगे हुए देखती। कभी कभी कैश काउंटर पर वो भी आ जाती, बस उस दिन काम थोड़ा जल्दी हो जाता..आम दिनों के मुकाबले।
जब उस मैडम तक मुझे कोई काम आ जाता तब बहुत मुश्किल होती। वो मुझे घंटों तक अपने सामने बिठाकर रखती दस मिनट दस मिनट कहते कहते वो घंटों निकाल देती। और कुछ भी न बोलती, बस सामने बैठे इस ग्राहक को देखती दस मिनट कहने के बहाने। वो असीम खूबसूरत थी, चेहरे पर नूर तो गजब का था। कोई भी देखे पहली नजर में मर मिटे। शायद उसका बस चलता तो वो मुझे महीने-दर-महीने अपने सामने रखे रखती उसके सामने पड़े कम्प्यूटर की तरह। वो कोई मुझसे बदला ले रही थी या जानबूझकर वो मुझको बस देखना चाहती थी। ये बात न तो उसने कभी बताई और न मैंने पूछी। पूछकर मैं मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता, एक बार भूल से ले बैठा था, तो उसने ऑफिस में पकड़कर चुम्मा ले लिया था मेरा। जी हां, ये बैंक वाली मैडम के बाद की घटना है, जिस ऑफिस में मैं काम करता था, उस ऑफिस का इंचार्ज या खर्चवाहक आशिक मिजाज था, वो नई नई लड़कियों को रोजगार के बहाने अपने ऑफिस में रखता। एक दिन मैं ऑफिस में अकेला था, खबरें बना रहा था। मैंने वहां डेस्क पर बैठी एक 32 साला महिला से पूछा तुम मुझे इस तरह क्यों देखती हो। मैं तुम्हें बुरा लगता हूं या अच्छा। इतना कहते हुए मैं पानी पीने के लिए सीट से उठा, उसने आएं देखा न बाएं। बस वहां से खड़ी हुई और मुझे पकड़कर किस कर डाला। वो तो भगवान का शुक्र के ऑफिस के शीशे काले थे, वरना बाहर बस स्टॉप पर खड़े लोग देख लेते तो मुसीबत हो जाती। इस लिए मैंने किसी भी महिला को कभी नहीं पूछा कि वो मेरे बारे में क्या सोचती है। वो मुझे क्यों निहारती है। मैंने कभी नहीं कहा 'क्यों'। क्योंकि उत्तर तो मिल ही चुका था उक्त घटना से। उसके बाद कई अंटियां निहारती रहती, लेकिन मैंने मुड़कर क्यों नहीं कहा और कहना भी नहीं चाहूंगा। ऑफिस के साथ एसटीडी थी, वहां पर बहुत सारी महिलाएं फोन करने आती, वो मेरे ऑफिस में तांकती रहती, उस दरवाजे से जो एसटीडी और ऑफिस को एक करता था। वहां पर एक कॉल गर्ल भी आती थी, आती तो बहुत सारी थी, लेकिन वो मुझे याद है। एक दिन उसने मुझे ही छेड़ दिया। मैंने एसटीडी वाले से कहा यार तुम दरवाजा बंद रखा करो। नहीं तो मुश्किल हो जाएगी। वो कहने लगा कि समुद्र में रहकर मछलियों से परहेज अच्छा नहीं। तुम हैंडसम हो..तुम्हारे पास मौके आते हैं। मैं कहता था, मुझे मौके नहीं चाहिए। मैं हमेशा भागता हूं ऐसे मौकों से। इस ऑफिस में नौकरियां दिलवाने का काम भी चलता था। उस दिन नौकरी दिलाने वाली लड़की नहीं आई, जिसका काम मुझे करना पड़ा । एक महिला आई नर्स की ज़ॉब के लिए, जो कभी नाचने गाने का काम करती थी। मुझे नहीं पता था कि वो ऑफिस इंचार्ज की ही भेजी है। अगर पता होता तो सतर्क रहता। वो ऑफिस में आई। उसके कपड़े मल्लिका शेरावत जैसे। मुझे बोली चलें। मैंने कहा चलो। डाक्टर इंतजार कर रहा है। बोली मोटरसाइकल पर चलते हैं। मैंने कहा नहीं, पास में ही है पैदल चलते हैं। मैं उसके आगे आगे ऐसे चल रहा था, जैसे वो मेरे पास आकर मुझे मार डालेगी। उसने फिर कहा साथ साथ चलते हैं। मैंने कहा कि कोई बात नहीं। तुम आओ। वहां डाक्टर के पास पहुंचे तो वो ऐसे बैठी वहां। जैसे वो जॉब के लिए नहीं जिस्म का नुमाइश लगाने आई हो। उसकी माऊंट एवरेस्ट की तरह उभरी हुई छाती देखकर डॉक्टर हैंग हो गया, मेरे ऑफिस वाले कम्प्यूटर की तरह। बातचीत खत्म हुई तो हम बाहर आए। मुझे बोली जॉब पक्की समझूं। मैंने मन में कहा कि आंखों का डाक्टर है, अगर इसको रख लिया तो हॉस्पिटल को ताला जल्द ही बजेगा। मैंने कहा कि कल से काम पर आ जाना, उसके बाद अंतिम फैसला होगा। फिर बोली मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे ऑफिस में काम करने लग जाती हूं, तुम कितने खूबसूरत दिखते हो। मैंने कहा बेटा फिर फँस गया। उसके बाद मैंने अपने खर्चवाहक को फोन लगाया, ये क्या माल भेज दिया। कोई शो नहीं करवाना, वहां नर्स की जरूरत है। मल्लिका शेरावत की नहीं। डाक्टर ने उसको दूसरे दिन ही निकाल दिया, डाक्टर ने नहीं उसकी पत्नी ने। इसको रखकर क्या उसने अपना घर बर्बाद करना था। वो फिर मेरे ऑफिस आई उसने कहा मेरी जॉब चली गई, मैंने कहा ये तो होना ही था।...पार्ट-1


6 टिप्‍पणियां:

आमीन ने कहा…

aapki lekhni achhi hai,, waise khoobsurti bhi kisi kisi ko milti hai,, aapko mili, badhai

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कुछ तो रहा होगा तेरी आँखों का भी कसूर
यूँ ही नहीं हर कोई तुझ पर लिखता ग़ज़ल ......

अगली पोस्ट का इन्तजार है ......!!

Udan Tashtari ने कहा…

काहे गरीब को हीन भावना के कुँए में ढकेल रहे हो...इत्ती लम्बी उम्र यूँ ही निकल गई.... :)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

तुहाड़ी वी कहाणी मजेदार हैगी, बधाईयां

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब लिखा है ......... majedaar khaani है ...........

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

आप को जन्मदिन दी लख लख बधाईयाँ....!!!!!