मंगलवार, फ़रवरी 17, 2009

..जब भागा दौड़ी में की शादी


आज से एक साल पहले, इस दिन मैंने भागा दौड़ी में शादी रचाई थी, अपनी प्रेमिका के साथ. सही और स्पष्ट शब्दों में कहें तो आज मेरी शादी के पहली वर्षगांठ है. आज भी मैं उस दिन की तरह दफ्तर में काम कर रहा हूं, जैसे आज से एक साल पहले जब शादी की थी, बस फर्क इतना है कि उस समय हमारा कार्यलय एमजी रोड स्थित कमल टॉवर में था, और आज महू नाका स्थित नईदुनिया समाचार पत्र की बिल्डिंग में है. आप सोच रहे होंगे कि भागा दौड़ी में शादी कैसे ? तो सुनो..शादी से कुछ महीने पहले मुझे भी हजारों नौजवानों की तरह एक लड़की से प्यार हो गया था और हर आशिक की तमन्ना होती है कि वो अपनी प्रेमिका से ही शादी रचाए और मैं भी कुछ इस तरह का सोचता था. लेकिन हमारी शादी को आप समारोह नहीं, बल्कि एक प्रायोजित घटनाक्रम का नाम दे सकते हैं. मुझे और मेरी जान को लग रहा था कि शादी के लिए घरवाले नहीं मानेंगे, इस लिए हम दोनों ने शादी करने का मन बनाया, क्योंकि कुछ दिनों बाद उसको घर जाना था, और उधर घरवाले भी ताक में थे कि अब बिटिया घर आए और शादी के बंधन में बांध दें.क्योंकि उनको मेरे और मेरी प्रेमकहानी के बारे में पता चल गया था. इसकी भनक हमको भी लग गई थी, इस लिए हम दोनों ने पहले कोर्ट से कागजात तैयार करवाए और फिर उनको आर्य मंदिर में देकर शादी की तारीख पक्की की. मेरा तो मन था कि शादी 14 तारीख को करें, लेकिन श्रीमति ने कहा कि नहीं मेरी सहेली ने कहा है 16 का महूर्त शुभ है. मैंने पूरा दिन आफिस में कोहलू के बैल की तरह काम किया और फिर भागा भागा घर गया. वहां से तैयार बयार होकर पैदल उसकी गली से होते हुए इंडस्ट्री बस स्टॉप पहुंचा, जहां से बस पकड़ी और ब-मुश्किल आर्य मंदिर पहुंचा. शायद मैं पहला दुल्हा हूंगा, जिसके बाराती भी देर से आए और दुल्हन भी ऑटो रिक्शा में आई. इस मौके पर एक बात दिलचस्प थी, वो ये थी कि हम सब अलग अलग धर्मों एवं राज्यों से थे. मैं पंजाबी, पत्नी गुजराती, यार पंजाबी, गुजराती, बंगाली, उड़िया, मध्यप्रदेशी आदि. हम सब हम उम्र थे, सब खुश थे, एक दो को छोड़कर, क्योंकि उनको मेरी तरह ये चोरी छुपे की शादी अच्छी नहीं लग रही थी. हमने शादी सिर्फ ये सोचकर की थी कि अगर घरवाले मान जाते हैं तो हम दोनों दूसरी बार शादी कर लेंगे, वरना हम कोर्ट के मार्फत जाकर प्यार को बचा लेंगे. लेकिन शादी के एक महीने बाद हमने शादी का खुलासा कर दिया और एक साथ रहने लग गए. मेरे घरवालों ने तो उसकी वक्त अपना लिया था, लेकिन मेरे सुसराल वालों ने कुछ हद तक तो अपना लिया, लेकिन सस्पेंस अभी भी कायम है...बाकी सब ठीक है. लड़ते झगड़ते, रूठते, मनाते प्यार करते एक साल पूरा कर लिया.

1 टिप्पणी:

sudhakar ने कहा…

yaar hamari party to pending rah gayi, abb yeh bata bathinda kab aa raha hai