मैं कभी नहीं भूल सकता उस शख्स को, नहीं नहीं यार मेरा उसकी ओर कोई उधार बाकी नहीं, बल्कि यह तो वो शख्स है, जिसने जिन्दगी के कुछ साल मांगे थे, और मैं मना करके भाग आया था। बस उसकी बातों को साथ लेकर और एक शेयर, शेयर कर रहा हूं, जो इनकी जुबान से निकला था :)
वक्त की वक्त से मुलाकात थी
वक्त को वक्त ही न मिल पाया
ये भी वक्त की बात थी
वक्त को वक्त ही न मिल पाया
ये भी वक्त की बात थी
जबकि इससे पहले मेरे पास दिलवाले फिल्म का एक शेयर था, जो अजय देवगन बोलता है।
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था।
मेरी कश्ती वहीं डूबी जहां पानी बहुत कम था।
मेरी कश्ती वहीं डूबी जहां पानी बहुत कम था।
वो शख्स था मेरा स्कूल टीचर सुरजीत सिंह, जिसने मुझे लूटा नहीं, बल्कि जिन्दगी की एक नई दिशा से रूबरू करवाया:)
उन्होंने लव मैरिज की थी, वो लव मैरिज के खिलाफ नहीं थे, और मैं तो पक्का कमीना शकल से लेकिन दिल से नहीं। उनको शक था कि मेरा ध्यान लड़कियों में है, उन्होंने मुझे अपनी कसम दे डाली, यह कहते हुए कि तुम मेरे छोटे भाई जैसे हो:)
किसी छात्र के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है कि उसका शिक्षक उसको भैया की उपाधि से नवाज दे:) कसम यह दी कि तुम किसी लड़की से प्यार नहीं करोगे, जब तक अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते :) ऐसा नहीं था कि मैं उन दिनों अपाहिज था, उनके कहने का अर्थ आप भी समझते हैं और मैं भी उन दिनों समझ गया था।
अब मेरे लिए वहां रुकना मुश्किल था, एक तरफ शिक्षक जो अब भाई बन चुका था, दूसरी वो लड़की जिसको मैं पसंद करता था, प्यार तो पता नहीं, क्यूंकि मेरे प्यार की भाषा तो आज तक में भी नहीं समझ पाया कि आखिर मैं प्यार किसे करता हूं और किसे नहीं।
उसके बाद आज तक उस शिक्षक और लड़की से मिला नहीं, लेकिन उन दोनों का चेहरा बराबर मुझे याद है। उनका वो शेयर अब भी दिल में बसता है। मिला वक्त तो उस वक्त से मुलाकात जरूर करूंगा।
1 टिप्पणी:
कुलवंत जी, बहुत गहरी संवेदनाएं हैं आपकी। मन द्रवित हो गया।
ईद की दिली मुबारकबाद।
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हर अदा पर निसार हो जाएँ...
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