यारों मैं इतना बुरा भी नहीं कि मां की कदर न करूं, मैं भी आपकी तरह मां से बहुत प्यार करता हूं और करता था एवं करता रहूंगा. लेकिन एक दिन अनजाने में उस मां से रिश्ता तोड़ आया, जब मुझे मालूम हुआ तो मैं बहुत रोया. हुआ कुछ इस तरह कि आज से तीन साल पूर्व जब मेरी मां ने सरकारी अस्पताल के बिस्तर पर दम तोड़ा, तो कुदरती था कि उसका अंतिम देह सस्कार किया जाए. मेरी मां की आर्थी शमां घाट पहुंची, उसकी चिता को अग्नि के हवाले कर दिया. उसके बाद एक रस्म होती है कि मरने वाले की चिता के पास कुछ डक्के (लकड़ी की तीलियां) बिखरे पड़े होते हैं, सब लोग उन डक्कों को चुगकर वहीं रामबाग में तोड़ देते हैं और फिर वहां से चल देते हैं. वहां सबको देखादेखी मैंने भी वैसे ही डक्का तोड़ दिया और चिता की अग्नि पर फेंक दिया. कुछ दिनों बाद जब मुझे उस रस्म के पीछे का अर्थ पता चला तो बहुत दुख हुआ, उसका मतलब होता है कि अब हमारा मरने वाले से कोई नाता नहीं, हम इस डक्के के साथ उस रिश्ते को भी तोड़ रहें है, जो तुम्हारा हम से था. मुझे इस बात का दुख है कि मैं उस मां से रिश्ता तोड़ आया, जिसने नौ माह मुझे पेट में रखा, कई सालों तक सीने से लगाकर सुलाया, अपने सीने का दूध पिलाकर बड़ा किया, उंगली पकड़कर चलना सिखाया, मुझे बोलना सिखाया.बेशक उसकी हर बात मेरे साथ है, लेकिन उक्त बात का दुख मुझे हमेशा होता है, उस मैं उसके अंतिम सस्कार पर नहीं रोया, लेकिन वैसे याद कर अक्सर रोता हूं, अगर वो होती तो शायद ऐसा होता, घर जाता तो सीने से लगाती, प्यार करती, आंखों से वजन मापती..हाथों से खाना खिलाती...
ਹੁੰਦੇ ਨੇ ਦਿਲ ਦਰਿਆ ਮਾਂਵਾਂ ਦੇ
11 टिप्पणियां:
मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।
sundar aur bhav purna abhivyakti.
kya kahu dost ...aankhe bhar aayi.......ab jyaada kuchh nahi kah sakta...
आपके मन में माँ के प्रति ये aadar bhav देख भाव विह्वल हो उठी हूँ ....तीलियाँ तोड़ देने से कोई रिश्ते नहीं टूट जाते ये सब तो मनुष्य के बनाये ढकोसले हैं ....माँ तो माँ ही रहेगी ......!!
ये रस्म मृतात्मा के मोक्ष प्राप्त हो जाने देने के लिए है। सच किसी को नहीं पता मान्यता है ऐसी ताकि आत्मा भटकती न रहे।
माँ के बताए रास्ते पर चलकर अच्छी काम करके उससे नाता जीवन-पर्यंत रहता है।
मां तूने दिया हमको जन्म
तेरा हम पर अहसान है
आज तेरे ही करम से
हमारा दुनिया में नाम है
हर बेटा तुझे आज
करता सलाम है
सुन्दर और भावः पूर्ण अभिव्यक्ति
मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।
चन्द्र मोहन गुप्त
It's really a mixed feeling to see your immotional words...
My parents are so far in Gujarat and I am alone in Delhi for fantacy... Your blog has made me senti...
Missing my Mom-dad...
उसका मतलब है कि शरीर से अब हमारा कोई नाता नहीं रहा इसीलिए उससे नाता तोड़ दिया लेकिन माँ से जरूर है और रहेगा। आपकी माँ शरीर नहीं थी वह शुद्ध आत्मतत्व है। आँखें खोखों तो वह दिखने लगेगी
अनिरुद्ध जोशी द्वारा मेल से मिली प्रतिक्रिया
rasme nibhane se nate tuta nhi krte fir maa to hmari rag rag me bsi hui hai .
Nice Post.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
[ Editor- Children’s Poem & Adult’s Poem ]
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